राज्यों में राष्ट्रपति शासन के विभिन्न आधार
DOI:
https://doi.org/10.1366/vqxq5019Abstract
भारत में संघात्मक शासन प्रणाली की व्यवस्था की गई है । संविधान निर्माताओं ने संविधान में अनुच्छेद 356 का प्रावधान इसलिए किया था ताकि विघटनकारी शक्तियों द्वारा उत्पन्न की गई आपातकालीन स्थितियों का सामना किया जा सकें । अनुच्छेद 356 के अन्तर्गत राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू करना असंवैधानिक नहीं है तथापि ऐसा नहीं कहा जा सकता कि अनुच्छेद 356 ही राज्यों में राजनैतिक गतिरोध को दूर करने का एकमात्र साधन है । संविधान सभा में इसके प्रति जो आशंका व्यक्त की गई, वह निर्मूल नहीं थी । केन्द्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 356 का प्रयोग हर बार संविधान निर्माताओं द्वारा बताए गए उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए नहीं किया गया । अनेकों बार केन्द्र में सत्तारुढ़ दल ने अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति हेतु इस प्रावधान का आश्रय लेकर राज्य सरकारों को बर्खास्त किया । केन्द्रीय सरकार ने अनुच्छेद 356 के प्रयोग के लिए उत्तरदायी कारण और परिस्थितियों के प्रति आधार स्वरूप एकरूप सिद्धान्त को नहीं अपनाया । केन्द्र में सत्तारुढ़ दल ने संविधान के अन्तर्गत इस अनुच्छेद की अस्पष्टता का अनुचित लाभ उठाया । 'संवैधानिक तंत्र की विफलता' को उन आधारों पर उचित सिद्ध करने की कोशिश की गई जिनका आभास संविधान निर्माताओं को भी नहीं था । प्रस्तुत शोधपत्र में केन्द्र में सत्तारुढ़ दल द्वारा विभिन्न राज्यों में अनुच्छेद 356 के प्रयोग के विभिन्न आधारों पर प्रकाश डाला गया है ।