भारतीय नारी : सामाजिक विकास की केन्द्रीय इकाई
DOI:
https://doi.org/10.1366/03wqvv07Abstract
पुरातन काल से वर्तमान तक महिलाओ की भूमिका व स्थिति में लगातार परिवर्तन होते रहे है | इतिहास के पन्ने पलटने पर पता लगता है की पूर्व आर्यन युग ( ई. पू . 3000 ई. पू. 2000) में भी महिलाये समाज में अपना विशेष स्थान रखती थी | हड़प्पा और मोहन जोदड़ो के मूल प्रमाण भी बताते है कि आर्यों के पूर्व के सिन्धु समाज में महिलाये विशेष सम्मान व स्थान रखती थी कहा जाता है “ कोई भी समाज जितना सुसभ्य और सुसंस्कृति होगा , महिलाओ ,, की स्थिति वंहा पर उतनी सम्मान जनक होगी | महिलाओ ने यह स्थिति स्वयं बनाईऔर स्वयं को स्थिति देने को प्रगतिशील रही है | परिवर्तन एक शाश्वत गुण है, स्थिति व परिस्थिति के अनुसार स्वयं की भूमिका को परिभाषित कर अपने अस्तित्व व व्यक्तित्व को महिलाओ ने सुदृढ़ता प्रदान की है |



