उदय प्रकाश की कहानी (तिरिछ) में जादुई यथार्थवाद की अवधारणा
DOI:
https://doi.org/10.1366/p6jhzw33Abstract
यथार्थवाद की अवधारणा प्रेमचंद की कहानियों से शुरू हुई थी। प्रेमचंद आदर्शोन्मुखी समाजवाद से समाजोंन्मुखी यथार्थवाद की तरफ बढ़े। यथार्थवाद कहानी का एक मानदंड माना गया है।
पंकज बिष्ट की कहानी - 'बच्चे गवाह नहीं हो सकते 'से जादूई यथार्थवाद की शुरुआत मानी जाती है ।
जादुई यथार्थवाद एक शिल्प और पद्धतिहै - कहानी कैसे लिखी जाए और कहानी में यथार्थ को कैसे अभिव्यक्त किया जाए...
Published
2006-2025
Issue
Section
Articles
How to Cite
उदय प्रकाश की कहानी (तिरिछ) में जादुई यथार्थवाद की अवधारणा. (2024). Leadership, Education, Personality: An Interdisciplinary Journal, ISSN: 2524-6178, 18(1), 56-58. https://doi.org/10.1366/p6jhzw33