‘‘ मन्नू भंडारी की रचनाओं में नारी चेतना ’’

Authors

  • जयकरण सिंह चारण डाॅ0 अंजू Author

DOI:

https://doi.org/10.1366/0g94ma26

Abstract

स्वातंत्र्योत्तर भारत में धर्म पर आधारित राजनीतिक दलों का गठन हुआ है। धार्मिक आन्दोलनों के कारण के कारण हिन्दू और मुसलमान एक-दूसरे से दूरी बनाकर रखते हैं। इससे जहाँ साम्प्रदायिकता में वृद्धि हुई है, वहाँ आतंकवाद के कारण सामूहिक नर संहार हो रहे हैं तथा राष्ट्र की सम्पत्ति का विनाश हो रहा है। आतंकवाद ऐसा जघन्य अपराध है, जिससे नागरिकों के सुख शान्ति से जीना दूभर हो गया है।ष् नारी भी इस आतंकवाद की समस्या से प्रभावित हुई है। कारगिल युद्ध में शहीद हुए पुरुषों की विधवाओं को एक दुःखद जीवन भोगना पड़ा है। स्वतंत्रता का राजनीतिक परिवेश नारी को हताश एवं निराश करने वाला है। इससे नारी में मृत्युबोध और संत्रास निरन्तर बढ़ा है। आज की नारी कहीं भी सुरक्षित नहीं है।

Published

2006-2025

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Articles

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‘‘ मन्नू भंडारी की रचनाओं में नारी चेतना ’’. (2025). Leadership, Education, Personality: An Interdisciplinary Journal, ISSN: 2524-6178, 18(3), 108-111. https://doi.org/10.1366/0g94ma26