गांधीवाद का दर्शन और सिद्धांत: अहिंसा, सत्य और सामाजिक न्याय का मार्ग

Authors

  • 1 Bablu Kumar Jayswal, 2Dr. Rathod Duryodhan Devidas Author

DOI:

https://doi.org/10.1366/29tf6x05

Abstract

गांधीवाद का दर्शन अहिंसा, सत्य और सामाजिक न्याय पर आधारित है, जो महात्मा गांधी के विचारों और आंदोलनों का मूल सिद्धांत था। अहिंसा गांधीजी के लिए केवल हिंसा का त्याग नहीं, बल्कि आत्मसंयम, धैर्य और साहस का प्रतीक था, जिसके माध्यम से उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नैतिक और शांतिपूर्ण दिशा दी। सत्याग्रह, यानी सत्य के लिए अहिंसात्मक संघर्ष, गांधीजी का दूसरा प्रमुख सिद्धांत था, जिसके तहत उन्होंने अन्याय के खिलाफ सत्य की ताकत से संघर्ष करने का मार्ग दिखाया। गांधीजी का समाजवाद आत्मनिर्भरता और स्वदेशी पर केंद्रित था, जिसमें उन्होंने ग्रामीण विकास, कुटीर उद्योगों और खादी के प्रचार को बढ़ावा दिया। उनका "ग्राम स्वराज" का विचार गांवों की आत्मनिर्भरता और स्थानीय संसाधनों के उपयोग पर आधारित था, जो आज भी सतत विकास के लिए प्रेरणा है। सामाजिक न्याय के क्षेत्र में उन्होंने जाति प्रथा, छुआछूत और लिंग भेदभाव के खिलाफ संघर्ष किया, ताकि सभी को समान अधिकार मिल सकें। गांधीजी का दर्शन न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम तक सीमित था, बल्कि यह नैतिकता, समानता और आत्मनिर्भरता की दिशा में वैश्विक प्रेरणा का स्रोत बना, जिसका प्रभाव आज भी सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों में देखा जा सकता है।

Published

2006-2025

Issue

Section

Articles

How to Cite

गांधीवाद का दर्शन और सिद्धांत: अहिंसा, सत्य और सामाजिक न्याय का मार्ग. (2025). Leadership, Education, Personality: An Interdisciplinary Journal, ISSN: 2524-6178, 18(11), 868-876. https://doi.org/10.1366/29tf6x05